Ek Umar Tere Bina Guzari Gyi | Desh Kumar |
लड़खड़ा रहा हूं इसलिए घर पहुंच जाऊंगा मैं अगर ज़रा सा भी संभला तो गिर जाऊंगा मैं। मेरे दोस्त अक्सर तेरा नाम पूछते हैं अगली बार तो जोर जोर से चिल्लाऊंगा मैं।। एक उम्र तेरे बिना गुजारी गई हर जन्म ये सबको बताऊंगा मैं।। तेरा मेरा शायद किसी और जन्म का साथ ठहरा इस जन्म बस किसी तरह से गुजर जाऊंगा मैं।। जाने किसके साथ मेरी ज़िन्दगी को बांधा जायेगा जाने किसकी शक्ल में तेरी शक्लें बनाऊंगा मैं।। मुझको एक डोर में समेटने की कोशिश मत करना तुम हल्का सा कसोगी फिर से बिखर जाऊंगा मैं। अब तो ये तय करके सोने लगा हूं अगर सपने में तुम आयी तो उठ जाऊंगा मैं। अब जो रेगिस्तान से बच के ज़िन्दा निकला हूं हर प्यासे को पानी पिलाऊंगा मैं। तू भी कब तक ज़िन्दा रहेगी मुझमें एक ना एक दिन तो आखिर मर जाऊंगा मैं। कुछ लोग तो तारीफ भी करेंगे 'देश' कल जब उनको अपना दर्द सुनाऊंगा मैं। _देश कुमार ___---___ . Ladkhada rha hu isiliye ghar pahunch jaunga mai Agar zra sa bhi sambhla to gir jaunga mai.. Mere dost aksar tera naam puchhte hai Agli bar to zor zor se chillaunga mai.. Ek umar tere bina