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Mai Tujhe Riha Kar Dunga | Desh Kumar |

तू एक मस्त मग्न सुनहरी चिड़िया थी जिसे आसमान की सातों तह के ऊपर उड़ने की चाह थी, और मैं एक ऐसा ज़ाहिल गवार शख़्स हूं जिसने तुझे पकड़ के पिंजरे में डाल दिया है, और उसपर मोहब्बत का ताला लगा दिया है, मैंने कितनी ही बार तुझे पिंजरे से उड़ने की धमकी दी है और हर बार मोहब्बत का डर दिखाकर तेरी बेबसी का मज़ा उठाया है, मैं जानता हूं कि तेरे पंख उड़ने को तरसते हैं तेरे सुनहरे आंसू पिंजरे में रोज़ बरसते हैं उन आंसुओं को देखकर मुझे यकीन होता है हां..! सचमुच ये सुनहरी चिड़िया मेरी मोहब्बत में फंस गई है, कहीं तेरे सुनहरे रंग पे कोई ओर कायल ना हो जाए इसी डर से मैं रोज़ तेरे बदन को नोंच कर खरोंचता रहता हूं मेरी हर खरोंच के साथ तेरी खुबसूरती कम होती जायेगी और मैं तुझे पिंजरे से रिहा कर दूंगा जब तू बदसूरत हो जायेगी।। _देश कुमार ___---___ Tu ek mast magan sunhari chidiya thi Jise aasman ki saaton tah ke upr udne ki chah thi Aur mai ek aisa zahil gwar shaksh hu Jisne tujhe pakad ke pinjre me dal diya hai Aur us par mohabbat ka tala lga diya hai Maine kitni hi baar tujhe pinjre se udn