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Mai Aaj Tumhe Sach Batana Chahata Hun | Desh Kumar |

मैं आज तुम्हें सच बताना चाहता हूं बातें कड़वी हैं मगर बताना चाहता हूं कि मैंने तुमसे कभी मोहब्बत नहीं की बस मोहब्बत का नाटक किया था और इस नाटक में मैंने बहुत बार तुमसे मोहब्बत का इजहार किया था हां ये झूठ है कि मैंने तुमसे प्यार किया था और शायद ही मुझे तुम्हारी कोई बात याद है अगर याद है तो बस इतना याद है कि तुम्हारे हाथ मेरे हाथों से बहोत छोटे है लेकिन फिर भी जब तुम इन हाथों को मेरी आंखों पर रखा करती थी तो पूरी दुनिया को ढक लेती थी तुम जानबूझकर अपनी जुल्फें मेरे चेहरे पर गिराया करती थी और अजीब सी हरकतों से मुझको चिड़ाया करती थी तुम अक्सर कहती थी कि तुम्हें मुझ को सताना अच्छा लगता है जब मैं गुस्सा करता हूं तो डांट खाना अच्छा लगता है मुझे ये तो याद नहीं कि मैंने तुम पर कभी गुस्सा किया है या नहीं अगर याद है तो सिर्फ इतना याद है कि तुम मुझसे पूछा करती थी कि क्या तुम्हें दूसरी लड़कियां अच्छी लगती हैं मैं मजाक में कहता था कि हां तुम्हारी सहेलियां अच्छी लगती हैं तुम्हारा जवाब हर बार यही होता था कि अगर पसंद है तो बता दो मैं बात करवा सकती हूं मगर शायद ही मुझे तुम्हारी किसी सहेली का नाम याद होगा