Ek Dusre Ko Hum Dekhte Rhe | Desh Kumar |
एक दूसरे को हम देखते रहें बिन कुछ कहे वो बोले मैं बस सुनूं बैठके बिन कुछ कहे। मेरे मन में ख्याल आए जो उसको चूमने का तो उसका चेहरा लाल हो, नज़रें झुके, बिन कुछ कहे मैं उसका हाथ पकडू और कहूं "क्या इजाज़त है" वो भी शरमाए और हामी भरे बिन कुछ कहे मैं अगर कहूं कि "मैं तुमसे मोहब्बत करता हूं" वो कहे "तो फिर मोहब्बत कीजिए बिन कुछ कहे" उसकी तस्वीरों से बस यही शिकायत है मुझे कि मुझसे बात करे, देखा ना करे बिन कुछ कहे। मैं उसपे गुस्सा करता हूं जानबूझकर, क्युकी वो क्यूट लगती है जब मुंह बनाएं, सो जाए, बिन कुछ कहे। उससे बहस में मैं तो तब चुप हो जाता हूं जब वो कहे कि "आप तो बस चुपचाप खड़े रहे बिन कुछ कहे वो मेरी दोस्त थी जिससे मैं बोहोत बातें करता था फिर एक दिन मैंने उसे छोड़ दिया बिन कुछ कहे। _देश कुमार Ek dusre ko hum dekhte rhe bin kuch kahe Wo bole Mai bas sunu baithke bin kuch kahe Mere man men khyal aaye usko chumane ka Uska chehara laal ho, najre jhuke, bin kuch kahe Mai uska haath pakdu aur kahun "kya izazat hai" Wo bhi sharmaye aur hami bhare bin k