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Showing posts from July, 2018

Teri Galiyon Se Gujarta Hu Mai | Desh Kumar |

तेरी गलियों से गुजरता रहूँ मैं तू छत पे कपड़े सुखाती रहे.. तेरी हँसी हँसता रहूँ मैं तू मख़ौल चेहरे बनाती रहे.. तेरा नाम गुनगुनाता रहूँ मैं तू मेरा नाम गुनगुनाती रहे.. तुझे देखता रहूँ मैं तू पैहम मुस्कराती रहे.. खुद में खुद को छिपाता रहूँ मैं तू मुझमें खिलखिलाती रहे.. तेरी ज़ुल्फों को छेड़ता रहूँ मैं तू गुस्से में चिल्लाती रहे.. तुझसे रूठता रहूँ मैं तू मुझको मनाती रहे.. थक कर शाम को आता रहूँ मैं तू दिनभर की बातें बताती रहे.. तुझको दिन का हिसाब देता रहूँ मैं तू दिल अज़ीज खाना बनाती रहे.. तेरी नज़र उतारता रहूँ मैं तू हमेशा मेरी उम्र बढ़ाती रहे.. तुझसे मोहब्बत करता रहूँ मैं तू मुझसे मोहब्बत करती रहे.. -देश कुमार ----^^^^^---- teri galiyon se gujrta rhu mai tu chhat pe kapde sukhati rhe.. teri hasi hasta rhu mai tu makhol chehre bnati rhe.. tera naam gungunata rhu mai tu mera naam gungunati rhe.. tujhe dekhta rhu mai tu paiham muskurati rhe.. khud me khud ko chhipata rhu mai tu mujhme khilakhilati rhe.. teri julfon ko chhedta rhu mai tu gusse me chillati rhe.. t

Apne Gharo Se Bahar Jane Se Darte Hai | Desh Kumar |

अपने घरों से बाहर जाने से डरते हैं है ज़माना की लोग ज़माने से डरते हैं.. मुस्कुराओ जो लोगों को देखकर वो पलटकर मुस्कुराने से डरते हैं.. डराता है मुझको तो शहरों का माहौल अक्सर यहां सब लोग मिलने मिलाने से डरते हैं.. मर गयी ख्वाहिशें बन गया इंसान मशीन सब मशीनों के इस कारखाने से डरते हैं.. मेरी ज़िम्मेदारियां मुझे खींच लाती हैं रोज़ वरना सचमुच हम ऑफिस जाने से डरते हैं.. ना लौटे कोई परिंदा गर शाम को वापिस उसके भूखे बच्चे चहचहाने से डरते हैं.. खून के रिश्ते भी ज़हर बन गये क्या? क्यों लोग अपने ही भाई को गले लगाने से डरते हैं.. ना जाने कौन किस नज़र से देखे गा मुझे इसलिये अब लोग पूरा नाम बताने से डरते हैं.. तिल तिल कर मर रहे हैं लोग यहां फिर जाने क्यूँ लोग मर जाने से डरते हैं.. -देश कुमार ___----___ Apne ghron se bahar jane se darte hai Hai zmana ki log zmane se darte hai.. Muskurao jo logo ko dekh kar Wo palatkar muskurane se darte hai.. Drata h mujhko to shahro ka mahol aksar Yha Sb log milne milane se darte hai.. Mar gyi khwahishe ban gya insaan machine Machino ke is kark

Khamkha ladte rhe ek shakhs se | Desh Kumar |

ख़ामख़ा लड़ते रहे एक शक़्स से मिलकर बिछड़ते रहे एक शक़्स से.. मेरी आँखों को हवस थी खुदा की वो खुदा बनते रहे एक शक़्स से.. बहोत नजदीक होकर भी हम बहोत दूर होते रहे एक शक़्स से.. मेरी बातें उसे कभी समझ ही नहीं आयी और फिर मुआमलात बिगड़ते रहे एक शक़्स से.. उनके सिवा हम किसी को सोचते तक नहीं वो मेरे सिवा भी मिलते रहे एक शक़्स से.. हमने दिल मे बसाया था जिसको वो बस दिल बहलाते रहे एक शक़्स से.. एक ही गुनाह तो हमने किया है हम मोहब्बत करते रहे एक शक़्स से.. बस इतना हिसाब है मेरी गलतियों का हम बार बार धोखा खाते रहे एक शक़्स से.. मोहब्बत की जंजीरों ने जकड़ लिया मुझको फिर ज़बरदस्ती हम निभाते रहे एक शक़्स से.. -देश कुमार Khamkha ladte rhe ek shaksh se Milkar bichhadte rhe ek shaksh se.. Meri aankho ko hawas thi khuda ki Wo khuda bante rhe ek shakhs se.. Boht najdeek hokar bhi hum Boht door hote rhe ek shaksh se.. Meri baate use kbhi samjh hi nhi aayi Or fir muamlaat bigadte rhe ek shakhs se.. Unke siva hum kisi ko sochte tk nhi or Mere siva bhi wo milte rhe ek shaksh se.. Humne dil me bsa