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Mai Preshan Hun | Desh Kumar |

कल हम दोनों आपसी सहमति से बिछड़ तो गए लेकिन मुझको ऐसा लगता है जैसे कि मैं परेशान हूं उसको लगता है कि सिर्फ Block कर देने से मसले हल हो जाएंगे यहां मुझको ये डर है कि उसको भुलाया नहीं गया तो उसको सोच सोच रोना पड़ेगा जो आंखे उसे देखकर सुकून लेती थी मुझे उनके सुकून कि फिकर खाए जा रही है एक रुमाल के टुकड़े से आंखों के समुंदर नहीं सुखाए जाते किसी गैर के लिए तो कभी आंसू नहीं बहाए जाते लफ्ज़ किसी बात को ऊपरी तौर से कहने के लिए नहीं बने हैं इनके कुछ मानी (मतलब) होते हैं वो जो तीसरा शख़्स है वो गैर है या मैं गैर हूं ये बात मेरे पत्थर दिमाग को खाए जा रही है कच्चे धागे समझकर इन मोहब्बतों से उलझ तो गए अब इस जाल के कसने से मेरी खाल खींची जा रही है जबरदस्ती घरवालों के कहने पर आज मैंने दो फुल्के खाये हैं मै परेशान हूं क्यूंकि मेरी भूख मर रही है रात को बस बैठके सोचता रहता हूं की वो क्या कर रही है _देश_कुमार Kal hum dono sahmati se bichhad to gye lekin Mujhko asa lag raha hai jaise ki mai preshan hun Usko lgta hai ki sirf block kr dene se masle hal ho jayenge Yha mujhko ye dar hai ki usko bhulaya nhi gy