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Pet Bhraa Na Paiso Se | Desh Kumar |

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पेट भरा ना पैसों से तो खाने लगे इंसानों को बच्चों का ये फ़्यूचर खा गये फिर भी भूख लगी है शैतानों को.. लोन लेकर फ़ीस भरी थी उधार लेकर जुर्माना घर मे रोटी के बस बचे हैं पैसे कैसे दे दूं बेईमानों को.. रोशनी देखकर हम दिया जलाने आये थे जला दिए ख्वाब सारे अब बचा क्या जलाने को.. बाप की कमाई बेचकर कारखानों में पढ़े तो हम पर कैसे सहूँगा अब मै पढ़ा-लिखा होने के तानों को.. जिसके बच्चे भूखे हैं वो चिड़िया तो दाना लेके जायेगी इस जाल से अलग करदे कोई मक्की के दानों को.. "वो कम्पनी अच्छी नहीँ थी, अच्छा हुआ जॉब नहीं लगी" सुनकर पापा मुस्कुरा दिये शायद समझ गये थे बहानों को.. पापा क्यों बोला करते थे पढ़ने और लिखने को मम्मी क्यों उठाया करती थी सुबहा स्कूल जाने को.. -देश कुमार ----+++---- Pet bhra na paiso se to khane lge insano ko bachho ka ye future kha gye fir bhi bhookh lgi hai shaitano ko.. Loan lekar fees bhri thi udhar lekar jurmana Ghar me roti ke bas bche hai paise kse dedu be-imaano ko.. Roshni dekhkar hum diya jlane aaye the Jla diye khwab sare ab bcha kya jlane ko.. Bap